
“आप समय ( जीवन-स्पंदन ) और ऊर्जा ( प्रेम ) हो ! बाकी सब याददाश्त ( कर्म ) है”
Sanatani Dhani Kunjal shah धर्म में ऐसा क्यों ? मन में सवाल है पूछें!विधर्मी ने आपसे सवाल किया आपको जवाब पता नहीं तो विधर्मी का वह सवाल पूछ डालें! धर्म में ऐसा क्यों जवाब मिलेगा !!
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प्रश्न : क्या प्रारब्ध के कारण हम *सभी कर्म* करते हैं या उसके अलावा भी कर्म करते हैं? यदि करते हैं तो उस अन्य कर्म को क्या कहते हैं ?
आद्यंतीं दैव मध्ये पुरुषु। ब्रह्मविद्या में आये उपरोक्त सूत्र का अभिप्राय है कि परमेश्वर तंत्र जीव को किसी न किसी माध्यम से — किसी अवतार या किसी अन्य निमित्त के द्वारा — ज्ञान पहुँचाता रहता है। उस ज्ञान का उपयोग मनुष्य रूपी जीव कैसे करता है, यह उसकी स्वतंत्रता है। परंतु वह जो कुछ करता…
Keep readingप्रश्न : भगवान क्या करते हैं और क्या नहीं करते ?
इस कहानी को पढ़कर आप समझ जाएंगे कि भगवान क्या करते हैं, क्यों❓️ करते हैं और क्या नहीं करते हैं। एक करोड़पति को करोड़ों का घाटा हुआ व्यक्ति भगवान को नहीं मानता था परंतु मरता क्या न करता भगवान के पास प्रार्थना करने पहुंच गया कि शायद भगवान के पास कोई हल मिल जाए। दुःख…
Keep readingभगवान से क्या मांगें ?
क्या भगवान हमारे गुलाम हैं? क्या भगवान हमारे सस्ते सौदे के लिए बैठे हैं? हम सभी दिन-रात भगवान से मांगने में ही लगे रहते हैं। हमारी कुछ इच्छा पूरी हो जाती है और कुछ रह जाती है। हम कितने लालची है – 1 किलो मिठाई का डिब्बा लेकर मंदिर जायेंगे और 1 लाख मांगेंगे लेकिन…
Keep readingब्राह्मण शूद्रों को अछूत मानते थे, आइये जानते हैं इसकी असलियत
जब ब्राह्मणों के घर ब्रह्मभोज होता था तो उनके यहाँ जो दोना पत्तल लगता था वो मुसहर (महादलित) लेके आता था, जो पानी भरा जाता था वो कहार भरते थे, जो मिट्टी का बर्तन यूज होता था वो कुम्हार बनाते थे। जो आवश्यक कपड़े लगते थे वो जुलाहे के यहाँ से आते थे, जो जनेऊ…
Keep readingकान्हा का छठी उत्सव की बधाई
भाद्रपद कृष्ण सप्तमी को श्रीजी में प्रभु की छठी का उत्सव मनाया जायेगा.प्रभु श्रीकृष्ण के प्राकट्य का उत्सव एक वर्ष तक चला और प्राकट्य के छठे दिन पूतना राक्षसी आयी (जिसका प्रभु ने उद्धार किया था).इस आपाधापी में सभी व्रजवासी, यशोदाजी नंदबाबा, लाला कन्हैया की छठी पूजन का उत्सव भूल गयीं.अगले वर्ष जब लाला का…
Keep readingप्रभु की प्राप्ति किसे होती है..?
एक सुन्दर कहानी है :–एक राजा था। वह बहुत न्याय प्रिय तथा प्रजा वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था। वह नित्य अपने इष्ट देव की बडी श्रद्धा से पूजा-पाठ और याद करता था। एक दिन इष्ट देव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिये तथा कहा — “राजन् मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हैं। बोलो तुम्हारी कोई…
Keep readingशिव और ब्रह्मा दोनों के संताने हैं। भगवान विष्णु की कोई संतान क्यों नहीं है?
उत्तर भगवद गीता में हैअध्याय 14.3मम योनिर्महद् ब्रह्म तस्मिन्गर्भं दधाम्यहम् |सम्भव: सर्वभूतानां ततो भवति भारत || 3||सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तय: सम्भवन्ति या: |तासां ब्रह्म महद्योनिरहं बीजप्रद: पिता || 4||अनुवाद: कुल भौतिक पदार्थ, प्राकृत, गर्भ है। मैं इसे व्यक्तिगत आत्माओं के साथ संस्कारित करता हूं, और इस प्रकार सभी जीवित प्राणी पैदा होते हैं। हे कुंती पुत्र,…
Keep readingमनुष्य न चाहते हुए भी कौन-सी शक्ति से प्रेरित होकर अनुचित कार्य कर बैठता है?
अथ केन प्रयुक्तोऽयं पापं चरति पूरुष:।अनिच्छन्नपि वार्ष्णेय बलादिव नियोजित:।। भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया–पाप होने का कारण कामना है। भोग भोगने की कामना, पदार्थों के संग्रह की कामना, रुपया, मान-बड़ाई, नीरोगता, आराम आदि की चाहना ही सम्पूर्ण पापों और दु:खों की जड़ है। रामचरितमानस (सुन्दरकाण्ड, ३८) में गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैंकाम क्रोध मद लोभ सब…
Keep readingसोमरस कोई मदरा शराब नही है
सनातन धर्म में सोमरस का आशय मदिरा नही है ना ही सोमरस नशीला पदार्थ है,,,”देवता शराब नही पीते थे”सोमरस सोम के पौधे से प्राप्त था , आज सोम का पौधा लगभग विलुप्त है , शराब पीने को सुरापान कहा जाता था , सुरापान असुर करते थे , ऋग्वेद में सुरापान को घृणा के तौर पर…
Keep readingप्रश्न : बहुत बार कहा जाता है कि पिछले जन्म के कर्म का फल है, तो जो जन्म हमें याद ही नहीं उसकी सजा हमको क्यों मिलती है, सजा तो सुधार के लिए होती है?
आपका सोचना अपनी जगह ठीक हो सकता है पर यदि आप चोरी करके भूल जाओ तो सजा के पात्र रहोगे या नहीं? आपने किसी को सताया और आपके अच्छे दिन चल रहे हैं तो जाहिराना तौर पर भूल ही जाओगे पर वह निष्पक्ष निर्विकार परमात्मा आपके भूलने या याद रखने का मोहताज नही वह अपना…
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